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उत्तराखंड: पहाड़ के इस पहाड़ी इन्वेस्टर से मिलिए, जानें कि क्यों हैं इतने खास

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

देहरादून: चरित डिमरी। ये केवल नाम नहीं है। उन लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो बिजनेस करने के लिए शहरों की तरफ आते हैं। लेकिन, चरित ने धारा की विपरीत दिशा में चलने की ठानी और आज सफला के शिखर पर हैं। उन्होंने शहर को छोड़कर पहाड़ की राह पकड़ी और वह भी ऐसे दौर में जब देश और दुनिया के बाजारों पर ताले लटके हुए थे। लोगों के बिजनेस ठप हो रहे थे। पहाड़ के इस साहसी युवा ने इसी कोरोना के संकट काल में शानदार काम कर दिखाया। पहाड़ के इस इन्वेस्टर को लोग सलाम कर रहे हैं।

चमोली जिले के डिमर गांव के चरित डिमरी की पढ़ाई गांव से बाहर ही हुई। पिता सरकारी नौकरी में थे। उन्होंने भी सरकारी नौकरी छोड़कर पहाड़ की राह पकड़ी। पिता ने काम शुरू किया तो चरित डिमरी भी उनके साथ जुट गए। सालों की मेहनत से उन्होंने अपना बिजनेस तो खड़ा किया, लेकिन उनके सामने इस दौरान कई चुनौतियां बाधा बन कर खड़ी रही।

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होटल इंडस्ट्री में काम करने के लिए उन्होंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की। उत्तराखंड में सरोवर होटल चेन को लीड किया। फिर 1992 में अपना होटल बिरही में शुरू किया। इस दौरान दिक्कतें कम नहीं हुई। वर्षों की मेहनत से जो कुछ खड़ा किया था। उस पर प्रकृति का कहर ऐसा बरपा कि फिर खड़े होने का मौका नहीं दिया।

पहले 1999 के भूकंप में नुकसान हुआ। होटल टूट गया। चरित का हौसला ही है जो इन मुश्किलों से हर बार लड़कर फिर खड़े हो जाते हैं। हर बार अपने हौसले के दम पर फिर उठ खड़े हुए। उन्होंने एक बार फिर अपना काम शुरू किया। सबकुछ ठीकठाक चल रहा था। लेकिन, एक बार फिर 2012-2013 की आपदा ने उनको बड़ा नुकसान दे दिया। चरित को आर्थिक नुकसान तो जरूर हुआ। लेकिन, उनके मजबूत हौसले को ये नुकसान नहीं तोड़ा पाया।

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चरित फिर उठ खड़े हुए और इस बार कुछ ऐसा करने की ठानी, जो पहाड़ पर अब तक था ही नहीं। 2021 में उन्होंने तपोवन स्थित ऑटोमेटिक फ़ूड फैक्ट्री चमोली में बिस्कुट और अन्य तरह की बेकरी का काम शुरू किया। इसमें नई और बड़ी बात यह है कि उन्होंने कन्फेक्सनरी का काम भी स्टार्ट किया। कन्फेक्सनरी के सामान की आपूर्ति अब तक पहाड़ी इलाकों चाहे गढ़वाल हो या फिर कुमाऊं हरिद्वार से ही होती थी। लेकिन, अब इसकी सप्लाई “पहाड़ी बेकर” ब्रांड नाम से चरित की कंपनी करती है। यह केवल उनका बिजनेस नहीं। बल्कि, पहाड़ी के युवाओं के लिए रोजगार का अवसर भी लेकर आया। उनके साथ ही 20-25 लोगों को रोजगार मिला है।

उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती कारोना काल रहा। कोरोना से ठीक पहले चरित अपना बिजनेस शुरू करने की पूरी प्लानिंग कर चुके थे। प्लानिंग को धरातल पर उतारने की ठान चुके चरित पीछे नहीं हटे और बेकरी का काम चालू कर दिया। लेकिन, जैसे ही माल को बाजार पहुंचाने का वक्त आया कोरोना ने सबकुछ ठप कर दिया।

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कोरोना के बाद जब काम फिर से शुरू हुआ, तब तक कंपनी 18 लाख के घाटे में जा चुकी थी। इतना घाटा सहना किसी छोटे दिल वाले के बस में नहीं है। लेकिन, मुश्किलों से लड़ना सीख चुके चरित के लिए यह कठिन नहीं था। उनके हौसले के आगे सारी दिक्कतें बौनी साबित हुई। आज उनकी कंपनी फायदे में है और पहाड़ को “पहाड़ी बेकर” के जरिए शुद्ध और क्वालिटी प्रोडक्ट मिल रहे हैं।

चरित को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इनवेस्टर सम्मान से सम्मानित किया। इस दौरान पहाड़ के अकेले ऐसे इन्वेसटर थे, जिनको बोलने का मौका दिया गया। उनका कहना है कि पहाड़ी का युवा क्षमतावान है। उनकी प्रतिभाओं को देश-दुनिया जानती है। देश और विदेशों में नौकरी करने के बाद कई युवा वापस लौटकर बिजनेस करना चाहते हें, लेकिन नौकरी और बिजनेस में बड़ा फर्क होता है।

जब तक युवा बिजनेस को समझ पाते हैं, तब तक उनका इन्वेस्टमेंट नुकसान की कगार पर पहुंच जाता है। उन्होंने सरकार को जिलेवार मेंटर ग्रुप बनाने की सलाह दी है। इन ग्रुपों में सफल बिजनेसमैनों को शामिल किया जाना चाहिए, जो बिजनेस करने चाह रखने वाले युवाओं को सुझाव दे सकें और उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मददगार हो सकें। सीएम धामी ने उनके सुझावों को गंभीरता से लिया है। संभव है कि बहुत जल्द इस दिशा में काम भी शुरू हो जाएगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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